Mohan ranade biography in hindi
मोहन रानडे
मोहन रानडे (जन्म नाम : मनोहर आप्टे ; 25 दिसंबर 1930 [1] - 25 जून 2019), [2] भारत के एक महान् स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने गोवा मुक्ति आंदोलन में भाग लिया, और कस्टोडियो फर्नांडीस नाम के एक गोवा पुलिसकर्मी की पूर्व-निर्धारित हत्या के लिए चौदह साल पुर्तगाली जेल में बिताए। [3]
आरम्भिक जीवन
[संपादित करें]मोहन रानडे का जन्म 25 दिसंबर 1930 को भारत के महाराष्ट्र में सांगली में एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका जन्म का नाम मनोहर आप्टे था। गोवा मुक्ति आंदोलन में शामिल होने पर उन्होंने छद्म नाम मोहन रानाडे को अपनाया। [1]
गोवा मुक्ति आंदोलन में भूमिका (1953-1969)
[संपादित करें]महाराष्ट्र के आरके बर्वे द्वारा प्रोत्साहित किए जाने पर, आप्टे ने 1949 में अवैध रूप से गोवा में प्रवेश किया और परनेम में रहकर छात्रों के लिए मराठी भाषा के एक निजी शिक्षक के रूप में नौकरी करने लगे। लेकिन गोवा में अवैध रूप से प्रवेश करने के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद वह जल्द ही महाराष्ट्र लौट आए। उन्होंने 1950 में विष्णुपंत वज़े की सहायता से मोहन रानडे के छद्म नाम के तहत फिर से अवैध रूप से गोवा में प्रवेश किया और फिर से सवोई वेरेम में हिंदू छात्रों के एक छोटे से निजी समूह के लिए मराठी भाषा के शिक्षक के रूप में काम करना शुरू कर दिया। वह अपने छात्रों को पुर्तगालियों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करते थे। अवैध रूप से गोवा में प्रवेश करने के लिए उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया और भारत से निर्वासित कर दिया गया। [3]
सन् 1953 में वे उग्रवादी संगठन 'आजाद गोमांतक दल' में शामिल हो गए। [4] संगठन के सदस्य के रूप में सन् 1954 में सिलवासा की मुक्ति में वे शामिल हुए और फिर अवैध रूप से गोवा में प्रवेश किया। [3]
उन्होंने ने अपने संगठन के लिए हथियार और विस्फोटक चुराने के लिए पुलिस और सीमा शुल्क चौकियों के साथ-साथ बारूदी सुरंगों में कई सशस्त्र डकैतियों में भी भाग लिया। 18 अगस्त 1955 की रात को सावोई वेरेम के कस्टोडियो फर्नांडीस नाम के एक पुलिसकर्मी के घर गये, उसे बाहर बुलाया और उसे गोली मार दी। इस पुलिसकर्मी ने भारतीय झण्डे का अपमान किया था। उसने भारतीय झण्डे को नीचे उतारकर उस पर मुहर लगायी थी। [3]
गिरफ्तारी और कारावास
[संपादित करें]22 अक्टूबर 1955 को, रानाडे ने हथियार लूटने के इरादे से बेतिम पुलिस स्टेशन पर एक सशस्त्र डकैती का प्रयास किया। लेकिन पुलिस ने रानाडे के पेट में गोली मार दी और घायल कर दिया। [3] रानाडे को गिरफ्तार किया गया, उन पर विभिन्न अपराधों (सशस्त्र डकैती, सुनियोजित हत्या, आदि) का आरोप लगाया गया। उन पर पुर्तगाल में मुकदमा चलाया गया और उन्हें 26 साल के कारावास की सजा सुनाई गई। [5]
उन्हें लिस्बन के पास काक्सियास जेल में रखा गया था, जहां पहले छह साल तक एकांत कारावास में रखा गया था। दिसंबर 1961 में भारत द्वारा गोवा के विलय के सात साल से अधिक समय बाद, जनवरी 1969 में उन्हें रिहा कर दिया गया। इस तरह लगभग चौदह साल जेल में बिताने के बाद वे मुक्त हुए। तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री, सीएन अन्नादुराई और पोप पॉल षष्टम् के हस्तक्षेप ने उनकी मुक्ति को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। [6][7]
सम्मान
[संपादित करें]रानडे को 2001 में पद्म श्री और 2006 में सांगली भूषण से सम्मानित किया गया था [8] उन्हें उनके सामाजिक कार्यों के लिए 1986 में गोवा पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
जीवन का अन्तिम खण्डऔर मृत्यु
[संपादित करें]रानडे ने गोवा मुक्ति आंदोलन पर दो पुस्तकें लिखीं: 'स्ट्रगल अनफिनिश्ड' और 'सतीचे वाण' (सती के वाण)। उन्होंने पुणे में एक धर्मार्थ संगठन चलाया जो आर्थिक रूप से पिछड़े पृष्ठभूमि के छात्रों की शिक्षा को प्रायोजित करता है। पांच साल से अधिक समय तक वे गोवा रेड क्रॉस के अध्यक्ष रहे। उन्होंने अपने जीवन के अन्तिम कुछ वर्ष पुणे शहर में बिताए जहाँ 25 जून, 2019 को उनका निधन हो गया।[9][10]
संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ अआ"ज्येष्ठ स्वातंत्र्य सैनिक मोहन रानडे यांचे निधन".
- ↑Freedom fighter Mohan Ranade dies[मृत कड़ियाँ]
- ↑ अआइईउSardesai, Sanjeev V.
(29 June 2019).
Lesetja kganyago curriculum vitae of martin luther kingRevankar, Pramod; Sinha, Arun (संपा॰). "The lost gem of Goan boundary -Mohan Ranade". The Navhind Times. Goa, India: Navhind Papers & Publications (Dempo Group/Dempo Industries Pvt. Ltd.). अभिगमन तिथि 7 Sep 2021.
- ↑Risbud, S.S., 2003. Goa's Hostile for Freedom, 1946-1961: The Giving of National Congress (Goa) forward Azad Gomantak Dal (Doctoral disquisition, Goa University).
- ↑Maria Couto (2005). Goa: A Daughter's Story. Penguin Books India. पृ॰ xvii. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ .
- ↑Aldrovandi, C., 2018. A Senda do Dever (Satiche Vaan). InterDISCIPLINARY Journal have available Portuguese Diaspora Studies, 7, pp.339-345.
- ↑"Goa freedom fighter Mohan Ranade who spent 14 years in European jail dies in Pune".
- ↑"Patil think about over dwindling girls' population".
Possibly will 2006. मूल से 10 फ़रवरी 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अप्रैल 2023.
- ↑पुणे के इस वकील का है गोवा की आज़ादी में बड़ा हाथ; पुर्तगाली जेल में बिताये थे 14 साल !
- ↑स्वतंत्रता सेनानी मोहन रानाडे का निधन